Sunday, May 12, 2019

For my daughter on mother's day

आज तुमसे बहुत तोहफे मिले
और बोली तुमने
ख़ास सी बातें अनमोल
सुबह से ही कहा तुमने
आज मदर्स डे है
माँ, तुम्हारा हर पल हो
जैसे हीरों से जड़ा
किरणों की तरह जगमगाये हर रोज़

यह नयी परिभाषा मेरी
सालों पहले जो तुमने थी सजाई
नया अनजान सा सफर
हुआ था शुरू ..
जिसकी डोर कभी तुमने थामी
और कभी मुझे थी पकड़ाई

कितने प्यार और हंसी के कहकहे
मेरे लिए इनाम बने
और रोष मायूसी के कुछ पल
जो बाद में मैंने अपनी यादों
के ढेर से अलग किये 

सालों की तुम्हारी सीढ़ियां और
रिश्तों की तुम्हारी मंज़िल
कुछ से रही मैं अनजान
और कुछ में थी मैं शामिल

वक़्त के पाठ हर बार की तरह थे सटीक
दायरे हैं माँ होने के भी
अनूठे सवालों में उलझी
अनन्य अनुभवों की मेरी सीख

बस छोटा सा तोहफा दो थमा
आज दिन ख़ास जो मेरा मनायो तुम 
मुझे सिर्फ माँ मत कहना आज से
कहीं इसकी दूरियों में न हो जाऊं मैं गुम
ना सोचना कि उम्र के हैं फासले
आखिर हुआ था एक जनम
मेरा भी संग तुम्हारे

कभी मेरे कान में कहना होले से
चलो दोस्त करें कई शैतानियाँ
और कभी हाथ थामना
सहारे के लिए नहीं
यूँ ही साथ कुछ कदम चलेंगे
बे सिर पैर की बातों के धागे पिरोये
किस्से कहोगी तुम हमेशा बेधड़क
मुझसे मुख्तकिल दोस्ती बनाये 
साथ मेरा ढूँढोगी तब भी
जब करनी हो दिल की बात
माँ को बिन बताये













2 comments:

Dipti Sama said...

Awesome didi...senti kar diya...

Ritu Sama said...

Thanks Dipti