Thursday, October 12, 2017

For Myra

पहली कहानी कही जब नन्ही आखों ने तेरी
पहला विशवास कि तुम कैद रखना अपने प्यार से
मेरे छोटे से हाथ को पकड़के रास्ता दिखाना हर डगर
अब माँ हो तुम मेरी 
पहली बार तुम्हारा वो पुकारना मुझे 

मेरी हिचकिचाहट का पहला शवास
क्या सही और बहुत कुछ गलत का पहला एहसास
लड़खड़ाई सी ममता तेरे आगमन से घबराई भी
जैसे कोहरे में अपने रास्ते को टटोलना

मुझे भी अपने घर से आने लगी कुटुम्ब की खुशबू
जब तेरी नरम सी मुस्कुराहट देखी दीवारों ने
पहले कदमों का गिर के संभालना 
फिर भागना मेरी ओर कि मैं मुस्कुरा के भर लूं गोद में

वो किताबों से गहरी दोस्ती तुम्हारी
जब से पढ़ना सीखा, मेरी भी नई क्लास शुरू हुई जैसे
तुम्हारे साथ वो पढ़े नए पन्ने ज़िन्दगी के
और तुम्हारा सोचना कि माँ को पता है सब पहले ही से

वो पहला दिन तुम्हारा बड़े स्कूल में
और मेरे दिल का धड़कना ज़ोर ज़ोर से
फिर से परिक्षाएं मेरी भी शुरू हुई
पहला पाठ जब पढ़ाया मैंने तुम्हें

मुझको बांधा जो जीवन से....
वो पहली कड़ी हो तुम
मेरी नादानियों को अनदेखा करके 
मां के हाथों में जादू है 
यह समझने वाली परी हो तुम
मैं भी किसी में अपनी छवि देखके इठलाऊँ
उस खुशी से मुझे भिगोने वाली पहली झड़ी हो तुम




Sunday, October 8, 2017

Butterflies

A crowded flutter...
In my line of sight
A sense of quivering movement
Wings folded a few
Others spreading to a spanse
Commanding a long flight

Bright colors fused with greys..
As I look around me
Those tiny beings
after the clouds shed their waters
Cocoons being broken
New lives freed...

That time of the year..
When I see specs of moving color
My eyes can only follow
That my hands can't touch

And then my heart misses a beat..
When the butterflies find rest
On my fingers stretched
I feel welcomed...
A world so tender
At that time of the year
Cocoons being broken
New lives freed