Thursday, March 29, 2018

मेरी कश्ती समंदर से है मुकम्मल
कभी लहरों की फुसफुसाहट और कभी तूफान की धमकियां
ए  खुदा ना छीन इससे वो जो है इसका 
रेत के किनारों के सूनेपन नही
मंज़ूर है इसे गहरे पानी में डूब जाना