Thursday, October 31, 2019

BAAT SAATH CHALNE KI THI

बात साथ चलने की थी
वरना कदमों की आहट भी नही होती
बात दिलों की लय मिलाने की थी
वरना धड़कने अपने दिल की हर वक़्त सुनी

पीछे पलट के ज़िन्दगी को देखा है बार बार
यादों के पार्सल आते रहते है बारम्बार
बात कुछ ख़ास ख़ज़ाने संजोने की थी
वरना किसको  याद है रोज़ का कारोबार 

आंखों के पर्दे पे तस्वीरे करती है कब्ज़ा
जब दोस्त किसी मोड़ पे सुनाते हैं फलसफा
बात उनकी आखों से खुद को देखने की थी
वरना आइनो की कमी हमारे जहाँ में नहीं

वैसे तो कितने ही रास्ते नापे
पर  खामोश से आगाज़ ही टकराये
आख़िरकार, बात साथ चलने की ही थी
ज़िन्दगी के लम्बे सफर में वरना...
क़दमों की आहट भी नहीं होती