Monday, June 24, 2019

daulat tumhari

मन में उलझनों का ताना बाना
और उसपे तुम्हारा हौले से आ जाना
गरीब सा दिल मेरा बेचारा
तुम बरसा दो खुशियों का खजाना

कितनी रखी है मेरी अलमारी में
ख्वाहिशें इधर उधर बिखरी फैली
गरीब सा दिल मेरा पर बेचारा
और खाली इसकी सारी तहें

दौलत जहाँ की मेरे दर का मुख करे
बस करती नहीं तेरी हवाएं सुहानी
गरीब सा दिल मेरा यह बेचारा
मिलती नहीं जिसे दौलत तुम्हारी


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