Thursday, July 25, 2019

prem ka sangeet

कितने भीगे से लम्हे
संग तुम्हारे गुज़रे
जब बादलों ने बजायी ताल
और बारिश ने गाया मल्हार

बड़े से पोखर हमारी तस्वीर लिए
झांका जब तो देखा जहां भर को इनमें
सर्द सी झड़ी हमारे आगमन से मचली कुछ
और फिर हवा ने छेड़ा टहनियों का झुरमुठ

एक संगीत है मेरे आँगन में आरम्भ
 जब से आगमन हुए तुम्हारे कदम
मोहक है लय इस प्रेम की अद्भुत
सुरीली है ज़िन्दगी जब तुम हो सम्मुख

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