Sunday, February 26, 2017

neend...

मुझे सोने की चाह नहीं ए - शब...
पर ख्वाबों का आना जाना तभी होगा....



कुछ अधूरे से और कुछ पूरे से,
जज़्बातों के एहसास का ठिकाना तभी होगा...


आज फिर नींद ने पुकारा है तशरीफ़ ले आयो ए-वाइज़,
तेरी नज़मों की महफ़िल में लोगों का आना जाना तभी होगा...



यही है मुसलसल मेरी कहानी, हकीकत और फ़साने की,
बेमतलब से अफसानों का अंजाम-ए-मुक़म्मल तभी होगा.




Glossary - शब - night ;  वाइज़- preacher, मुसलसल - लगातार ;

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