Monday, March 11, 2019

मुसर्रत की बात ना कह
वो तो दुश्मन की कश्ती में भी है गुलशन
बस ज़मीन-ए-वतन का खयाल रहे जेहन में 


फक्र की बात ना कह
वो तो लहु से सरोबर लिबास में भी है रौशन
बस सदक़ा-ए-वतन का कफन लिपटे बदन पे

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