Tuesday, October 28, 2014

For Pihu on her 2nd Bday...

नन्ही सी उंगलियाँ , और वोह एक नन्ही सी परी ..
मुझे पकड़ती कभी, कभी छुड़ा के भागती हुई

ऑंखें मटकाते हुए किलकारियां  बिखेरे,
दौड़ के आएं और 'पापा पापा' चिल्लाये कभी  

नन्हे से कदम और वो उसकी नन्ही सी शरारतें,
पलंग के नीचे कभी.... कभी दीदी के पीछे छिपती हुई

"ममा  आ गई, ममा  आ गई" कहके गोद में उसका चढ़ जाना,
और फिर  इठला के अपनी फ्रॉक लहरा के दिखाना
रह रह  के मुझको याद कराना कि बेहतर है सब से वही
कितनी बातें कहती वो अपने नन्हें शब्दों से कभी....

 यही नन्हे  से  पल  हैं और वो उसकी नन्ही सी हँसी,
और इन्ही पलों से सजी "पीहू पीहू" करती अब ये  मेरी ज़िन्दगी





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