Friday, September 24, 2010

Friday evening poetry....

खुली सी सड़क मेरे दिल की
और उसपे आना जाना आपका कभी कभी
जैसे सूरज की तपती किरणों का 
चाँद की गोद में छिप जाना कभी कभी

कुछ दूर तो चलो रास्ता कुछ मुश्किल है तो क्या
हमेशा मंजिल की तलाश तो सफ़र का सबब नहीं
याद तुम भी रखोगे कि यहाँ से भी गुज़रे थे
ज़िन्दगी को यूँ जी पाना होता है कभी कभी



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