Tuesday, June 18, 2019

sahaj sa jeevan

एक सहज सा जीवन दे दो
रोपूँ खुशियों के पेड़ जिसमें
रोज़ कुछ बूँद अनुराग की टपकें
मेरे आँगन में तुम्हारे कदम जब पड़ें

एक सहज सा जीवन दे दो
एक सी सुबह और एक सी ही दोपहरी
हर  दिन वही हो दिनचर्या
हमारी गुफ्तगू और हमारी हँसी

एक सहज सा जीवन दे दो
ढेर सारे पल जियें एक और अनगिनत
यादों के ख़ज़ाने भर जाएँ हृदय में
पुलकित हो मन इन्ही की छांव तले

एक सहज सा जीवन दे दो
जहाँ कदम हमारे निसंकोच बढ़ें
रास्ते लम्बे हों मंज़िल की ओर
और...
इनमें हम साथ चले बिलकुल धीरे

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