मीठी सी मुस्कान उसके मुख की कहे
रहने दो बंद आँखे
बंद आंखों के दरिया में ...
अनगिनत सपने बहें
अनगिनत सपने बहें
कल एक हरा बगीचा देखा था ख्वाब में
हकीकत में तो शायद कुछ सूखे घास ही हों
झूँलो पे खूब पींगें भी लगाई उस बाग में
आँखे खोले तो बस पींगो का हल्का एहसास ही हो
गम से लैस मायूसी के लिए सपनों के द्वार हैं बंद
क़हक़हे और शरारतें यहां आज़ाद पंछी
बहुत बड़ा इनका आसमान अनंत
और उसमें सुशोभित इंद्रधनुष जीवंत
धरती पे कोई नही रहता सपनों में
सपनों को यह धरा पूरी ना पड़े
इनमें बीते पल भी आज में हैं लीन
जब पुकारो तब ये हाज़िर
वक़्त सबकी मुट्ठी में इठलाये
न गुज़रने की तलब ना बीतने पे ग़मगीन
पर जब नींद से वो जागे
कुछ ख्वाब हैं रह जाते
अल्हड़ जिद की तरह
अदृश्य पंखों की कल्पना किये
अनंत आसमान में फिर वो उड़े
सपनों को वास्तविकता का उपहार दिए
क़हक़हे और शरारतें यहां आज़ाद पंछी
बहुत बड़ा इनका आसमान अनंत
और उसमें सुशोभित इंद्रधनुष जीवंत
धरती पे कोई नही रहता सपनों में
सपनों को यह धरा पूरी ना पड़े
इनमें बीते पल भी आज में हैं लीन
जब पुकारो तब ये हाज़िर
वक़्त सबकी मुट्ठी में इठलाये
न गुज़रने की तलब ना बीतने पे ग़मगीन
पर जब नींद से वो जागे
कुछ ख्वाब हैं रह जाते
अल्हड़ जिद की तरह
अदृश्य पंखों की कल्पना किये
अनंत आसमान में फिर वो उड़े
सपनों को वास्तविकता का उपहार दिए
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