एक अनजानी आवाज़
दौड़े मेरे कदम... एक दम..
फ़िर ठिठके और ठहरे
मैंने कानों को टटोला
सुना था क्या तुमने सही ?
या यूँ ही ख़यालों की बोलियों
को माना तुमने सच ही
नई सी थी वो आवाज़
पर कुछ थी जानी सी भी
जैसे एक भूली याद
मिलने को मचलती हुई
सोचा मैंने...
राज़ खोल दूँ, कि जाने दूँ
पर फिर सोचा...
रुकने का नाम नहीं है ज़िन्दगी...
फिर क्या था...
मिनटों की थी दूरी
क्षणों में पार करी
खोला किवाड़ अपने घर का
झट से.... अकड़ के
आखिर हफ्तों बाद
घंटी बजायी थी
मेरे घर की किसी ने ... !!!!
दौड़े मेरे कदम... एक दम..
फ़िर ठिठके और ठहरे
मैंने कानों को टटोला
सुना था क्या तुमने सही ?
या यूँ ही ख़यालों की बोलियों
को माना तुमने सच ही
नई सी थी वो आवाज़
पर कुछ थी जानी सी भी
जैसे एक भूली याद
मिलने को मचलती हुई
सोचा मैंने...
राज़ खोल दूँ, कि जाने दूँ
पर फिर सोचा...
रुकने का नाम नहीं है ज़िन्दगी...
फिर क्या था...
मिनटों की थी दूरी
क्षणों में पार करी
खोला किवाड़ अपने घर का
झट से.... अकड़ के
आखिर हफ्तों बाद
घंटी बजायी थी
मेरे घर की किसी ने ... !!!!
1 comment:
Nice job. Still writing ? Not seeing posts of 2022 hasn't been in storymirror for a while.how is art works going?
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