मैं चलाती ही रही साँसों का कारवाँ
ये ज़िन्दगी ले आई मुझे कहाँ
फलसफा शायद रह गया अधूरा
या फ़िर इसी को कहते हैं
चल हो गया सफर अब पूरा
बहुत लम्बी लिस्ट इच्छाओं की
जो अब भी मेरे मन को है कचोटती
वो जो खुशियाँ सदियों से हैं बटोरी
उनको बांटने को मैं हूँ तरसती
मेरी जेहन में ही हैं क़ैद
अभी तो लम्बे फ़लसफ़े
सोचा था बैठूंगी कागज़ कलम लिए
और बना दूँगी उनको लफ्ज़ सुनहरे
अभी तो बस लगा था थमी है
वक़्त की कुछ रफ़्तार
और मुठ्ठी में आयी है
जीवन की ये धार
मेरे आँगन के हर पौधे को
बताना था मेरा नाम
और सेहला के उनके पत्तों को
पूछना था हौले से मेरे लिए पैगाम
पडोस में झांककर
बनानी थी नयी दोस्तियाँ
फिर कहकहे गूंजती घंटो भर
और बीच में होती मधुर
चाय की चुस्कियाँ
कदमों को आज़ादी का
तोहफ़ा देना है बचा
आजतक तो बस तेज़
रफ़्तार की गिरफ्त में था कारवां
मग़र धागे बहुत उलझे से हैं अब
जैसे मज़बूत जाल एक अनंत
निकलेंगी इससे जो साँसे बदहवाज़
कौन जाने रहेगी तब उनमें कोई श्वास?
ये ज़िन्दगी ले आई मुझे कहाँ
फलसफा शायद रह गया अधूरा
या फ़िर इसी को कहते हैं
चल हो गया सफर अब पूरा
बहुत लम्बी लिस्ट इच्छाओं की
जो अब भी मेरे मन को है कचोटती
वो जो खुशियाँ सदियों से हैं बटोरी
उनको बांटने को मैं हूँ तरसती
मेरी जेहन में ही हैं क़ैद
अभी तो लम्बे फ़लसफ़े
सोचा था बैठूंगी कागज़ कलम लिए
और बना दूँगी उनको लफ्ज़ सुनहरे
अभी तो बस लगा था थमी है
वक़्त की कुछ रफ़्तार
और मुठ्ठी में आयी है
जीवन की ये धार
मेरे आँगन के हर पौधे को
बताना था मेरा नाम
और सेहला के उनके पत्तों को
पूछना था हौले से मेरे लिए पैगाम
पडोस में झांककर
बनानी थी नयी दोस्तियाँ
फिर कहकहे गूंजती घंटो भर
और बीच में होती मधुर
चाय की चुस्कियाँ
कदमों को आज़ादी का
तोहफ़ा देना है बचा
आजतक तो बस तेज़
रफ़्तार की गिरफ्त में था कारवां
मग़र धागे बहुत उलझे से हैं अब
जैसे मज़बूत जाल एक अनंत
निकलेंगी इससे जो साँसे बदहवाज़
कौन जाने रहेगी तब उनमें कोई श्वास?
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