बादल ने फिर सूरज का रास्ता रोका
अब गली में रोज़ आना जाना रहेगा
मानो गर्जन भरी चुनौती से वो बोला
बारिश ने भी साज़िश की बिजली के साथ
जाओगी जब तो किवाड़ खुला रखना
मैं भी छम से नाचूंगी सूखी धरा पर आज
छोटे छोटे पानी के पोखर
मानो आइनों से भरा बाज़ार
मदमस्त झूलती डालिओं पर
तेज़ हवाओं का जब तब हाहाकार
कैसे गर्मी के बेजान से दिन वो
आज छिपे हैं किसी तहखाने में,
चौंधियाई धूप ने मानी हार सलेटी परिवेश से
चौंधियाई धूप ने मानी हार सलेटी परिवेश से
अनंत लंबे प्रहारों के पश्चात
वर्षा मशगूल है आज जीत की खुशी मनाने में
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