डरता नहीं मैं यादों से तेरी,
मेरी आँखों के सजदे एक दो घड़ी की नमी
ज़ेहन का हिस्सा रहे तू, तो मुँह फेर भी लूँ कभी
रोज़मर्रा की तेरी आदत को जुदा करना....
मुमकिन ए फ़ितरत नहीं
मेरी आँखों के सजदे एक दो घड़ी की नमी
ज़ेहन का हिस्सा रहे तू, तो मुँह फेर भी लूँ कभी
रोज़मर्रा की तेरी आदत को जुदा करना....
मुमकिन ए फ़ितरत नहीं
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