इस फलक से ज़मीन तक का सफ़र है,
खुदा को छोड़ फिर खुद को ले चला हूँ...
बस्ता नहीं क्यूँ वो मेरे जहाँ में भी,
मेरी ज़मीन को भी फलक बनाता क्यूँ नहीं वो .....
खुदा को छोड़ फिर खुद को ले चला हूँ...
बस्ता नहीं क्यूँ वो मेरे जहाँ में भी,
मेरी ज़मीन को भी फलक बनाता क्यूँ नहीं वो .....
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