क्यों रूठती नहीं तेरी याद
तुम्हारे मुझसे रूठने पर
क्यों किवाड़ पे खड़ी दस्तक लगाती है
जैसे ठकठकाया हो तुमने मेरा दर
मेरे आसपास ही रहती है वो
मानो तुम दूर गए ही नहीं
करती है मेरी रूह से वो गुफ्तगू
मानो तुम ही कह रहे हो बाती
तुम्हारी यादों का साया
मेरे साथ चलता है हर पल
तुम ने तो रुख कर लिया दूसरा
बन गयीं है ये मेरी हमसफ़र
मुस्काती हूँ तुमको जब भी सोचके
जब भी लेते हैं तुम्हारा नाम मेरे अधर
यादें एहसास दे जाती हैं तुम्हारा
जैसे मुस्कान तुम्हारी मेरे सामने हो हर सहर
तुम्हारे मुझसे रूठने पर
क्यों किवाड़ पे खड़ी दस्तक लगाती है
जैसे ठकठकाया हो तुमने मेरा दर
मेरे आसपास ही रहती है वो
मानो तुम दूर गए ही नहीं
करती है मेरी रूह से वो गुफ्तगू
मानो तुम ही कह रहे हो बाती
तुम्हारी यादों का साया
मेरे साथ चलता है हर पल
तुम ने तो रुख कर लिया दूसरा
बन गयीं है ये मेरी हमसफ़र
मुस्काती हूँ तुमको जब भी सोचके
जब भी लेते हैं तुम्हारा नाम मेरे अधर
यादें एहसास दे जाती हैं तुम्हारा
जैसे मुस्कान तुम्हारी मेरे सामने हो हर सहर
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