पहली कहानी कही जब नन्ही आखों ने तेरी
पहला विशवास कि तुम कैद रखना अपने प्यार से
मेरे छोटे से हाथ को पकड़के रास्ता दिखाना हर डगर
अब माँ हो तुम मेरी
पहली बार तुम्हारा वो पुकारना मुझे
मेरी हिचकिचाहट का पहला शवास
क्या सही और बहुत कुछ गलत का पहला एहसास
लड़खड़ाई सी ममता तेरे आगमन से घबराई भी
जैसे कोहरे में अपने रास्ते को टटोलना
मुझे भी अपने घर से आने लगी कुटुम्ब की खुशबू
जब तेरी नरम सी मुस्कुराहट देखी दीवारों ने
पहले कदमों का गिर के संभालना
फिर भागना मेरी ओर कि मैं मुस्कुरा के भर लूं गोद में
वो किताबों से गहरी दोस्ती तुम्हारी
जब से पढ़ना सीखा, मेरी भी नई क्लास शुरू हुई जैसे
तुम्हारे साथ वो पढ़े नए पन्ने ज़िन्दगी के
और तुम्हारा सोचना कि माँ को पता है सब पहले ही से
वो पहला दिन तुम्हारा बड़े स्कूल में
और मेरे दिल का धड़कना ज़ोर ज़ोर से
फिर से परिक्षाएं मेरी भी शुरू हुई
पहला पाठ जब पढ़ाया मैंने तुम्हें
मुझको बांधा जो जीवन से....
वो पहली कड़ी हो तुम
वो पहली कड़ी हो तुम
मेरी नादानियों को अनदेखा करके
मां के हाथों में जादू है
यह समझने वाली परी हो तुम
मैं भी किसी में अपनी छवि देखके इठलाऊँ
उस खुशी से मुझे भिगोने वाली पहली झड़ी हो तुम
2 comments:
Khoob badia ...
Thanks
Post a Comment