कहर के बादल ना बरस यहाँ
मेरा आसमान चाँद की राह देख रहा है
आज भी बैठी हूँ किनारे ही पे
लहरों के पीछे कहीं क्षितिज छुपा है
इंतज़ार के कदम बहुत दूर ले आये...
अब रेत ही छनती है उँगलियों से मेरी
शाद्वल की तलाश में सदियाँ हैं गुज़ारी
श्वास से खो ना जाए जीवन की नमी कहीं
ऐ राहगीर, तू अब रुख बदल ले
तेरी परछाई को टटोलना अब शौक नहीं मेरा
मौसम को बदलने दूँ मैं अंततः
आखिर फिरदौस ही नहीं मक़सद बहारों का
मेरा आसमान चाँद की राह देख रहा है
आज भी बैठी हूँ किनारे ही पे
लहरों के पीछे कहीं क्षितिज छुपा है
इंतज़ार के कदम बहुत दूर ले आये...
अब रेत ही छनती है उँगलियों से मेरी
शाद्वल की तलाश में सदियाँ हैं गुज़ारी
श्वास से खो ना जाए जीवन की नमी कहीं
ऐ राहगीर, तू अब रुख बदल ले
तेरी परछाई को टटोलना अब शौक नहीं मेरा
मौसम को बदलने दूँ मैं अंततः
आखिर फिरदौस ही नहीं मक़सद बहारों का